मन का आलस

मन का आलस
ऐसा आलस नहीं है
जैसा हमने समझा है,
यह एक सनक है,
अनैसर्गिक नियमों से
जूझता एक ठनक हैं.

यह अथक द्वंद्व को
संभालता एक साहस हैं,
यह एक धैर्य हैं, एक साधना है
मन के उथान की
खास परिकल्पना हैं.

यह ठहराव के आगोश में
पसरा एक होश हैं,
जो हालातो को
उनके हालत पे छोड़ता,
चलन के नए रास्ते तलाशता
जीवन की नयी सम्भावना हैं.

मन का आलस
इसलिए इतना बदनाम नहीं है
की ये कुछ करना नहीं चाहता
वरन ये स्वाभाव से ही
दुहराव का विद्रोही हैं.

इसे पुराना दुबारा
करने से बेहतर
नए के ख्याल में
बार-बार सोना
बहुत पसंद हैं.

बदलाव की इतनी
औकात कहा
जो नियमो के सहारे चले,
ये तो बस
आलस के हठ
का नजारा हैं,
फुर्ती का
सिमटता दायरा हैं.

PS:
Written under candle light in power cut due to infamous Laziness in electricity bill payment.
19/11/11
-mithilesh