आज माथे से पसीने ऐसे बहे
की आंसू भी चुपके निकल आए,
अरसे से ठहरे थे
आज अबाध बह गए.
खूब आते हैं पसीने आजकल
वजह-बेवजह, बेमौसम
पानी बहा जाते हैं ,
तिनके के निचोड़ को
पुरे टहनी की तोड़
बता जाते हैं .
कहा मिलता हैं अब
पीने को सस्ता पानी,
कहा धुल पते...