चार दीवारों की एक कोठरी
कोठरी में झूलता एक पंखा
जिसमें एक बाप के दिल सा
सख्त पल्ला हैं ,
अंदर एक मेज भी हैं
मेंज से जुडी एक कुर्सी
व कुर्सी पे ओंधी लेटी तौली,
मेज पे कुछ कुछ किताबें हैं,
धुल से नहाई इन किताबों के बीच
छिपी एक नन्ही सी डायरी...
Home » Archives for 04/01/2011 - 05/01/2011
ना वो प्यार रहा, ना वों बात रही
in
Emotions,
Love,
Poetry
- on April 23, 2011
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छोटा सा साथ
छोटा सा कारवां
छोटे से कारवें में
छोटी सी अहसास ,
ना वो साथ रहा
ना वो कारवां रही
ना उस कारवें की
वो अहसास रही ,
ना वो प्यार रहा
ना वों बात रही
ना वों दिल रहा
ना वों जज्बात रही |
जो मिट रहा हैं
क्या वो धब्बा था !
जो छुट रहा हैं
क्या...
The Puzzle of a simple story ...
- on April 23, 2011
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The puzzle starts with Utopian loop of stories ...
In the beginning he was running and turning, making shift to every direction.
Nobody stalked him ever for a uni direction.
He was happily enrolled to his own course of life.
He was often mistaken, misinterpreted.
He...
मन महसूस करता हैं
in
Poetry
- on April 23, 2011
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"उडती अहसासों में
चलती जज्बातों में ,
मन कुछ बेमन सा
महसूस करता हैं |
वो उडती थी
वो चलती थी ,
मन ही मन में
न जाने कैसे
ये सबकुछ महसूस करती थी |
ये उड़न अधूरी हैं
ये चलन कहा पूरी हैं ,
ये मन कब चुप बैठा हैं
जाने-अनजाने
कुछ भी महसूस करता हैं |
उड़न...