हम थे , तुम थे
हमारी खुशिया थी,
और इन खुशियों की
छोटी सी इक दुनिया थी.
नया साथ था
पुरानी पहचान थीं,
इन नयी - पुरानी रिश्तों की
इक अनूठी जज्बात थी.
जो तेरा था
वो मेरा हुआ,
जो मेरा था
वो तेरा...
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तारीफ पे तारीफ
in
Poetry
- on October 02, 2012
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तारीफ।।।
कुछ कह के करते है
कुछ जता के करते है
कुछ बड़े इत्मिनान से करते है,
मगर करते है सभी तारीफ .
तारीफ की कोई वजह नहीं होती
तारीफ की कभी जरुरत नहीं पड़ती,
तारीफ बस तारीफ से होती है .
तारीफ उनकी होती है
जिनको...