हम, तुम और हमारी खुशिया

हम, तुम और  हमारी खुशिया
हम थे , तुम थे  हमारी खुशिया थी, और इन खुशियों की  छोटी सी इक दुनिया थी. नया साथ था  पुरानी पहचान थीं, इन नयी - पुरानी रिश्तों की  इक अनूठी जज्बात थी. जो तेरा था  वो मेरा हुआ, जो मेरा था  वो तेरा...

तारीफ पे तारीफ

तारीफ पे तारीफ
तारीफ।।। कुछ कह के करते है कुछ जता  के करते है कुछ बड़े इत्मिनान से करते है, मगर करते है सभी तारीफ . तारीफ की कोई वजह नहीं होती तारीफ की  कभी जरुरत नहीं  पड़ती, तारीफ बस तारीफ से होती है . तारीफ  उनकी होती है जिनको...