मन का आलस
ऐसा आलस नहीं है
जैसा हमने समझा है,
यह एक सनक है,
अनैसर्गिक नियमों से
जूझता एक ठनक हैं.
यह अथक द्वंद्व को
संभालता एक साहस हैं,
यह एक धैर्य हैं, एक साधना है
मन के उथान की
खास परिकल्पना हैं.
यह ठहराव के आगोश में
पसरा एक होश हैं,
जो हालातो...
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आज माथे से पसीने ऐसे बहे
in
Poetry
- on July 24, 2011
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आज माथे से पसीने ऐसे बहे
की आंसू भी चुपके निकल आए,
अरसे से ठहरे थे
आज अबाध बह गए.
खूब आते हैं पसीने आजकल
वजह-बेवजह, बेमौसम
पानी बहा जाते हैं ,
तिनके के निचोड़ को
पुरे टहनी की तोड़
बता जाते हैं .
कहा मिलता हैं अब
पीने को सस्ता पानी,
कहा धुल पते...
चार दीवारों की एक कोठरी
in
Poetry
- on April 23, 2011
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चार दीवारों की एक कोठरी
कोठरी में झूलता एक पंखा
जिसमें एक बाप के दिल सा
सख्त पल्ला हैं ,
अंदर एक मेज भी हैं
मेंज से जुडी एक कुर्सी
व कुर्सी पे ओंधी लेटी तौली,
मेज पे कुछ कुछ किताबें हैं,
धुल से नहाई इन किताबों के बीच
छिपी एक नन्ही सी डायरी...
ना वो प्यार रहा, ना वों बात रही
in
Emotions,
Love,
Poetry
- on April 23, 2011
- No comments
छोटा सा साथ
छोटा सा कारवां
छोटे से कारवें में
छोटी सी अहसास ,
ना वो साथ रहा
ना वो कारवां रही
ना उस कारवें की
वो अहसास रही ,
ना वो प्यार रहा
ना वों बात रही
ना वों दिल रहा
ना वों जज्बात रही |
जो मिट रहा हैं
क्या वो धब्बा था !
जो छुट रहा हैं
क्या...
The Puzzle of a simple story ...
- on April 23, 2011
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The puzzle starts with Utopian loop of stories ...
In the beginning he was running and turning, making shift to every direction.
Nobody stalked him ever for a uni direction.
He was happily enrolled to his own course of life.
He was often mistaken, misinterpreted.
He...
मन महसूस करता हैं
in
Poetry
- on April 23, 2011
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"उडती अहसासों में
चलती जज्बातों में ,
मन कुछ बेमन सा
महसूस करता हैं |
वो उडती थी
वो चलती थी ,
मन ही मन में
न जाने कैसे
ये सबकुछ महसूस करती थी |
ये उड़न अधूरी हैं
ये चलन कहा पूरी हैं ,
ये मन कब चुप बैठा हैं
जाने-अनजाने
कुछ भी महसूस करता हैं |
उड़न...